आज हम आपको भगवान श्री विष्णु की आरती बताने वाले हैं जिसे करने से व्यक्ति का पूरा परिवार सुखी रहता है और धन-सम्पदा में वृद्धि होती है।
पोस्ट में ये जानकारी है -
ओम जय जगदीश हरे आरती लिखी हुई
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे ॥
ओम जय जगदीश हरे…
जो ध्यावे फल पावे,
दुःखबिन से मन का,
स्वामी दुःखबिन से मन का |
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का |
ओम जय जगदीश हरे ||
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी |
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी |
ओम जय जगदीश हरे ||
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी |
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी |
ओम जय जगदीश हरे ||
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता |
मैं मूरख फलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता |
ओम जय जगदीश हरे ||
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति |
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति |
ओम जय जगदीश हरे ||
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे |
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे |
ओम जय जगदीश हरे ||
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप हरो देवा |
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा |
ओम जय जगदीश हरे ||
तन मन धन सब है तेरा
स्वामी सब कुछ है तेरा ।
तेरा तुझको अर्पण,
क्या लागे मेरा ॥
ओम जय जगदीश हरे…
श्री जगदीशजी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी,
सुख संपत्ति पावे ॥
ओम जय जगदीश हरे…
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी !
जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
ओम जय जगदीश हरे…